धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माता वैष्णो देवी को त्रिकुटा नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर की त्रिकूट पहाड़ियों पर मां वैष्णो का धाम स्थापित है। वैष्णो देवी (Vaishno Devi Mandir) धाम की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है। कठिन चढ़ाई होने के बाद भी लाखों की संख्या में यहां भक्त माता के दर्शन के लिए पहुचते हैं और दर्शन मात्र से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।

 

मिलती है यह कथा

कथा के अनुसार, धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु के अंश से एक कन्या का जन्म दक्षिणी भारत में रत्नाकर परिवार में हुआ, जिसका नाम त्रिकूटा रखा गया। छोटी उम्र में जब त्रिकूटा को ज्ञात हुआ कि भगवान विष्णु का जन्म श्रीराम के रूप में हो चुका है, तब उन्होंने राम को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या शुरू कर दी। कथा के अनुसार, जब माता सीता के हरण के बाद भगवान राम उनकी खोज में निकले, तो वह माता सीता को ढूंढते-ढूंढते रामेश्वरम तट पर पहुंच गए, जहां उनकी भेट त्रिकूटा से हुई। तब देवी त्रिकूटा ने राम जी को पति रूप में प्राने की इच्छा प्रकट की।

श्रीराम